बॉडी मसाज के फायदे
मालिश एक बहुत ही उपयोगी और लाभकारी तरीका है जो शरीर को स्फूर्ति, शक्ति और स्निग्धता प्रदान कर शरीर की खुश्की कमजोरी और थकावट मिटाता है.
मालिश का महत्व इसी से प्रकट होता है कि जन्म के समय से ही मालिश हमारे साथ हो जाती है. नवजात शिशु के शरीर की मालिश और आटे की लोई द्वारा दाई या घर की बुजुर्ग महिला द्वारा मर्दन किये जाने की परम्परा चली आ रही है. बच्चे को थपकी देना, थपथपाना, पीठ पर हाथ फेरना भी एक प्रकार की मालिश ही है जो बच्चे को सुलाने के लिये की जाती है. इतना ही नहीं पशु पक्षी भी मालिश प्रेमी पाये जाते है और अपने-अपने ढंग से मालिश करते रहते हैं या अपने मालिक से करवा लेते हैं. चौपाये पशु जैसे गाय, भैंस, घोड़ी, कुतिया आदि बच्चे को जन्म देते ही चाट चाटकर उनकी मालिश करते है. अण्डे देने वाले पक्षी अडों पर बैठकर उन्हें सेते व सहलाते हैं और बच्चा जब अण्डा फोडकर बाहर निकलता है तब भी अपनी चोंच और पंखों से उन्हें सहलाया करते हैं. गधा धूल में लोट लगाकर स्वयं ही अपनी मालिश कर लेता है. घोड़े की मालिश की व्यवस्था मालिकही करता है.
शरीर पर तेल की मालिश करने से त्वचा सुंदर व मजबूत होती है. बालजनित रोग नहीं होते और वात कुपित नहीं होता. अत: शरीर श्रम व व्यायाम करने में समर्थ होता है. हमारी स्पर्श इन्द्रिय है त्वचा, स्पर्श का अनुभव त्वचा से ही होता है जिसका कारक वायु होता. तेल वातनाशक होने से त्वचा के लिये परम हितकारी होता है. अत: तेल की मालिश करना चाहिये.
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मालिश के प्रमुख लाभ:-
(1) मालिश से त्वचा बलवान, निरोग, झुरी रहित, स्निग्ध कान्तिपूर्ण और स्वच्छ रहती है.
(2) रक्तसंचार ठीक से होता है जिससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहती है और पसीना, मूत्र, श्वास ओर मल मार्ग से विकार बाहर हो जाते हैं.
(3) पाचन क्रिया में सुधार होता है, पाचक अंगों को शक्ति व उत्तेजना मिलती है. इससे यकृत, छोटी आंत आदि ठीक से अपना कार्य करते रहते हैं और मल ठीक से साफ होता है.
(4) शरीर दुबला हो तो पुष्ठ और सुडौल होता है और यदि मोटा हो तो मोटापा कम होता है.
(5) फेफड़ों, गुर्दो और आंतों को बल मिलता है जिससे वे शरीर के विकारों को तेजी से बाहर निकालकर शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखते हैं.
(6) शरीर के सभी अवयवों को तेल से स्निग्धता (चिकनाई) प्राप्त होती है. अत: उनमें लचीलापन बना रहता है और शरीर का विकास भली प्रकार होता रहता है.
(7) मालिश से त्वचा द्वारा शरीर को सीधी खुराक मिलने से पोषण पर्याप्त और शीघ्रता से होता है जो स्त्री-पुरुष परिस्थिति वश व्यायाम या योगासनों का अभ्यास नहीं कर पाते वे भी मालिश करके शरीर को सबल और स्फूर्तिवान रख सकते हैं.
(8) सप्ताह में एक बार या दो बार मालिश अवश्य करना चाहिये. इससे अनिद्रा रोग, शारीरिक दर्द, सिरदर्द, हाथ-पैरों का कम्पन, वात रोग और जोड़ों के दर्द आदि व्याधियां नष्ट होती हैं.
चुंबक चिकित्सा के अन्तर्गत मॅग्नेटीक हिलर मशीन से नालिश की जाती है जिससे शरीर और स्वास्था पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. रक्ताभिसरण सुचारू रूप से होता है और मनुष्य रोगमुक्त हो जाता है. बुखार, अजीर्ण, आमदोष, उपवाय अधिक रात्रि तक जागने और शके हुये शरीर में मालिश नहीं करना चाहिये।
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